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चलना हमारा काम है / शिवमंगल सिंह ‘सुमन’

गति प्रबल पैरों में भरी फिर क्यों रहूं दर दर खडा जब आज मेरे सामने है रास्ता इतना पडा जब तक न मंजिल पा सकूँ, तब तक मुझे न विराम है, चलना हमारा काम है । कुछ कह लिया, कुछ … पढना जारी रखे

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